पेट्रोल इंजन में, पेट्रोल और हवा कारबुरेटर में मिक्स होता है और ये मिश्रण इंटेक वाल से सिलेंडर में जाता है जो पिस्टन को नीचे की ओर दबाता है पेट्रोल इंजन में कम्प्रेशन बहोत ज्यादा होने के कारण पेट्रोल को गर्म कर देता है और सिलेंडर में लगे स्पार्क प्लग से जलने के कारण कंबरसन होता है जिससे सिलेंडर में पावर जनरेट होता हैऔर पिस्टन नीचे चला जाता है इस इंजन को पेट्रोल इंजन कहते है।
डिजल इंजन में, केवल हवा इंटेक वाल से सिलेंडर जाता है जो पिस्टन को नीच की ओर दबाता है डिजल इंजन में कम्प्रेशन बहोत ज्यादा होने के कारण हवा को गर्म कर देता है जिससे सिलेंडर में लगे इंजेक्टर ( नोज़ल ) डिजल को सिलेंडर में स्प्रे करता है जिससे पेट्रोल जलने के कारण कंबरसन होता है और पिस्टन नीचे चला जाता है इस इंजन को डिजल इंजन कहते है।
पेट्रोल इंजन और डिजल इंजन में अंतर
पेट्रोल इंजन
डिजल इंजन
पेट्रोल इंजन में स्पार्क प्लग होता है।
डिजल इंजन इंजेक्टर या नोज़ल होता है।
इस प्रकार के इंजन में फ्यूल और हवा का मिश्रण होता है।
डिजल में केवल हवा होता है इसमें कोई मिश्रण नहीं होता है।
पेट्रोल इंजन ऑटो साइकिल के सिद्धांत पर कार्य करता है इसका आयतन कांस्टेंट होता है।
डिजल इंजन कांस्टेंट प्रेशर पर कार्य करता है।
पेट्रोल इंजन को आसानी से चालू किया जा सकता है।
डिजल इंजन में कोल्ड स्टार्टिंग समस्या होने के कारण आसानी से चालू नहीं होता।
इस इंजन में कम कम्प्रेसन अनुपात होता है ( 8:1 ) से ( 12:1 )
इस इंजन में उच्च कम्प्रेसन अनुपात होता है जो ( 14:1 ) से ( 25:1 )
इस इंजन में डिजल इंजन की तुलना में कम दक्षता है।
इस इंजन में पेट्रोल इंजन की तुलना में अधिक दक्षता है।
इस इंजन में डिजल इंजन की तुलना में तापमान कम होता है।
इस इंजन में पेट्रोल इंजन की तुलना में तापमान अधिक होता है।
यह इंजन काम करने के दौरान कम आवाज करता है। जिससे नॉइज़ पोलुशन कम होता है।
यह इंजन काम करने के दौरान यह इंजन ज्यादा आवाज करता है। जिससे नॉइज़ पोलुशन ज्यादा होता है।
इस इंजन की मेंटेनेंस कॉस्ट ज्यादा होती है।
इस इंजन की मेंटेनेंस कॉस्ट कम होती है।
यह ज्यादातर लाइट वेट और साइलेंट इंजन होता है।
यह इंजन बहोत पावर फूल होता है और दछता भी होता है।
पेट्रोल इंजन, डिजल इंजन के तुलना में सस्ता मिलता है।
डिजल इंजन, पेट्रोल इंजन के तुलना में महंगा मिलता है।
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